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मोदी सरकार का बजट में किसानों को बड़ा तोहफा, किसान क्रेडिट कार्ड

किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट (Budget 2025) जारी कर दिया है. आपको बता दें, पहले केसीसी की लिमिट 3 लाख रुपये थी.

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भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का फैसला किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट (बजट 2025) में इसकी घोषणा की। पहले किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख रुपये थी। बता दें, इस बात की काफी चर्चा थी कि इस बार किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाई जाएगी।

7.7 करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ

इस समय 7.7 करोड़ किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है। खेती-किसानी, मछली पालन और दूध का कारोबार करने वाले किसानों को सरकार की ओर से इस क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलता है। सरकार ने अब इसकी सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है। पहले यह सीमा 3 लाख रुपये थी। इसका मतलब यह हुआ कि अब किसानों को सस्ती दरों पर ज्यादा लोन मिल सकेगा।

किसान क्रेडिट कार्ड क्या है

सरकार की तरफ से किसानों को शॉर्ट टर्म एग्री लोन दिया जाता है। इसके तहत किसानों को 9 प्रतिशत पर कर्ज मिलता है। सरकार की तरफ से किसानों को 2 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। समय से कर्ज चुकाने पर 3 प्रतिशत ब्याज की और कटौती होती है। यही वजह है किसानों को 4 प्रतिशत की दर से किसान क्रेडिट कार्ड पर पैसा मिल जाता है। बता दें, इस स्कीम की शुरुआत 1998 में की गई थी।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

  • एसबीआई की आधिकारिक वेबसाइट https://sbi.co.in/web/personal-banking/home पर जाएं.
  • इसमें Agriculture & Rural टैब पर जाएं.
  • यहां Crop Loan में जाकर Kisan Credit Card ऑप्शन चुनें.
  • यहां आपको Application Form मिल जाएगा. इसे डाउनलोड करके भरें और सब्मिट करें.
  • 3-4 दिन में बैंक खुद आपसे संपर्क करके किसान क्रेडिट कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देगा.

पैसा कब वापस करना होगा?

किसान क्रेडिट कार्ड के तहत किसान को पांच साल के लिए लोन मिलता है. पांच साल बाद इसका नवीनीकरण होता है. किसान को किसान क्रेडिट कार्ड पर साल में दो बार ब्याज देना होता है. साल में एक बार उसे ब्याज के साथ पूरी लोन राशि जमा करनी होती है. किसान अगले ही दिन जमा की गई मूल राशि निकाल सकता है. किसान साल में दो बार ब्याज चुकाने और एक बार पूरी लोन राशि जमा करने पर ही ब्याज सब्सिडी पाने का हकदार होता है. ऐसा न करने पर उसे 7 फीसदी की दर से ब्याज देना होता है. अगर ब्याज का भुगतान समय पर नहीं किया जाता है तो खाता एनपीए भी हो सकता है.